Thursday, April 17, 2008

आह्वान

सप्‍ताश्‍व कोई संस्‍था नहीं अपितु पारदर्शिता, आत्‍मस्‍थता, अनुरूपता एवं निर्मल अभिज्ञान हेतु एक मानवीय आह्वान है। इस सभा में आप सबका स्‍वागत है।

हमारा सुविचारित दृष्टिकोण यह है कि मन के स्‍तर पर पारदर्शिता, बुद्धि के स्‍तर पर आत्‍मस्‍थता, चेतना के स्‍तर पर अनुरूपता एवं अस्तित्‍व के स्‍तर पर निर्मल अभिज्ञान हमारी आध्‍यात्मिक यात्रा का आरम्भिक बिन्‍दु है। इसके पूर्व जो भी चर्चा अध्‍यात्‍म के नाम पर की जाती है, वह मात्र जबानी जमाखर्च है।

इसके पूर्व कि हम उपर्युक्‍त बिन्‍दुओं पर विस्‍तार से खुल कर चर्चा करें, हमें थोड़ा परिचय 'सप्‍ताश्‍व-सभा' की बाबत दे देना चाहिए। वर्ष 2008 की वसन्‍तपंचमी को इस सभा का सूत्रपात अयोध्‍या में हुआ है। तब से यह सभा प्रत्‍येक माह में दो बार आयोजित होती है। उक्‍त सभा में अन्‍तर्जाल के माध्‍यम से आप सब विद्वदजनों की भागीदारी भी सुनिश्चित हो सके, इस उद्देश्‍य से इस ब्‍लाग को रचा गया है। यहां आपके विचारों का स्‍वागत है। सप्‍ताश्‍व-सभा की वैचारिक गतिविधियों की संक्षिप्ति हम यहां निरन्‍तर रूप से पहुंचाते रहेंगे।

अंतत: हमें उस निर्विवाद सत्‍य तक पहुंचना है, जिसकी नींव पर वैश्विक धर्म की स्‍थापना हो सके।

Wednesday, April 16, 2008

सप्‍ताश्‍व सभा में आपका स्‍वागत है।